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Showing posts from November, 2021

सतयुग...old wine, new bottle, rightly aged

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स्वयंभू कॉमिक्स एक नई कॉमिक्स कंपनी है जिससे अन्य कॉमिक्स प्रकाशकों को मार्केटिंग के गुर सीखने की जरूरत है। अपने प्रथम अंक के साथ ही उन्होंने कॉमिक्स के पाठकों के मन में और उनकी अलमारियों में एक खास जगह बना ली है, इसलिए जब उन्होंने अपने प्रकाशन के दूसरे कॉमिक्स सतयुग की घोषणा करी, तो जाहिर सी बात है कि पाठकों में उत्सुकता बहुत अधिक थी। उन्हीं पाठकों में से मैं भी एक पाठक हूं। चाहे वह सतयुग का cover reveal हो या फिर सतयुग का title track launch करना, स्वयंभू कॉमिक्स ने इस कॉमिक्स के लिए एक बांधने वाला Ad campaign चलाया, जिससे कि पाठकों के मन में इस कॉमिक्स के लिए बहुत high expectations पैदा हो गई थी।  वैसे तो मैं इस कॉमिक्स की समीक्षा पढ़ने के तुरंत बाद करने वाला था लेकिन इस बार मैंने निर्णय लिया की कॉमिक्स को सिर्फ एक बार पढ़कर उसकी समीक्षा करने के बजाए इस कॉमिक्स का अध्ययन बारीकी से करने के पश्चात ही इसका रिव्यु अपने ब्लॉग पर डालूंगा। तो आइए बिना समय बर्बाद किए करते हैं स्वयंभू कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित सतयुग कॉमिक्स के हिंदी अंक का dissection. 1. कथानक कॉमिक्स की कहानी क...

लंबू मोटू और ड्रैकुला....प्रथम तीन अंक की समीक्षा

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ड्रैकुला। एक ऐसा किरदार जिसके साथ भारत ही क्या, दुनिया के हर कॉमिक्स प्रकाशक ने खेलने का प्रयत्न किया होगा। इस किरदार में कुछ ऐसा आकर्षण है की इसके इर्द गिर्द कहानी बुनने में एक अजीब से आनंद की अनुभूति होती है। राज कॉमिक्स, मनोज कॉमिक्स और बुल्स आई के प्रयासों का रसपान करने के बाद, उमाकार्ट के माध्यम से मुझे जब यह पता चला की एक वक्त डायमंड कॉमिक्स ने भी इस किरदार को लेकर १ नही, 2 नही बल्कि पूरे ९ कॉमिक्स पेश किए थे तो मैं खुद को ऑर्डर करने से रोक नही पाया। हालाकि सच कहूं तो मुझे डायमंड कॉमिक्स से ज्यादा उम्मीद नहीं थी क्युकी प्राण जी द्वारा रचे किरदारों के अलावा मैने न ज्यादा डायमंड कॉमिक्स पढ़ी है और न ही मुझे कोई अन्य किरदार या कॉमिक्स बहुत जची है।  फिर भी अपने अंदर कुलबुलाते कॉमिक्स के चरसी कीड़े को शांत करने के लिए हमने अभय जिंदल भाई को फोन मिला के सारी ९ कॉमिक्स मंगवा ली।  अब कॉमिक्स तो आ गई किंतु यह नहीं पता था कि पहला अंक कौन सा है और आखिरी कौन? फेसबुक और व्हाट्सएप पर कॉमिक्स के सह नशेड़ियों के झुरमुट में पूछते पाछते आखिर ये पता चला की पहली कहानी कौन सी है। ...

अंगारा origins... इतना original भी नही लिखना था

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तुलसी कॉमिक्स एक अजूबा है। इस प्रकाशन के 3 सर्वाधिक लोकप्रिय किरदार है अंगारा जम्बू और तौसी। यह तीनों किरदार क्यों प्रसिद्ध है यह मुझे बचपन में कभी समझ नहीं आया। इनकी ज्यादा कॉमिक्स नहीं पढ़ी थी इसलिए कुछ हद तक दोष अपने सीमित exposure को भी दूंगा।  फिलहाल कई दशकों बाद लॉकडाउन के दौरान, इंटरनेट पर सर्फिंग करते वक्त मुझे कॉमिक्स इंडिया नाम की वेबसाइट का पता चला। देखने पर यह पता चला कि यह कंपनी तुलसी कॉमिक्स के रीप्रिंट्स बाजार में ला रही है। बचपन और जवानी के बीच में आर्थिक स्थिति में काफी अंतर आ गया था इसलिए हमने निर्णय लिया की क्यों ना तुलसी कॉमिक्स के संसार में विचरण किया जाए।  अब जम्बू के बारे में मेरे विचार तो आप पहले पढ़ ही चुके हैं। तो आज बात करते हैं Parshuram Sharma जी के द्वारा रचित, कॉमिक्स पाठकों की नजर में एक अत्यंत महान किरदार अंगारा की। आज की समीक्षा अंगारा के प्रथम 3 कॉमिक्स के आधार पर कर रहा हूं जिनके शीर्षक हैं 1. अंगारा 2. अंगारा की जंग 3. अंगारा का आतंक तो चलिए करते हैं इस तथाकथित महानायक का dissection. 1. कथानक कॉमिक्स की दुनिया में सुपर हीरो हो ...

क्राइम फाइटर... when Inspector Vinay becomes Doga

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मुझे कॉमिक्स पढ़ना पसंद है खास करके सुपर हीरो genre वाली कॉमिक्स। इसलिए अगर मैं कहीं पर भी कोई भी सुपर हीरो की कॉमिक्स देखता हूं तो उसे तुरंत खरीद लेता हूं। अपनी इसी आदत के चलते मैंने फेनिल कॉमिक्स से bulk में काफी सारी कॉमिक्स आर्डर करके मंगवाई। हालांकि फेनील कॉमिक्स मेरे लिए नई नहीं है, क्योंकि मैं पूर्व में भी फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित फौलाद कलेक्टर एडिशन और बजरंगी का थ्री इन वन डाइजेस्ट पढ़ चुका हूं। इन दोनों ही किरदारों और कहानियों को मैंने काफी पसंद किया। इसलिए मेरे मन में विचार आया कि क्यों न फेनिल कॉमिक्स यूनिवर्स के अन्य सभी किरदारों के कथानक कल लुत्फ उठाया जाए। बस यही सोचकर मैंने फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित वह सभी कॉमिक्स मंगा ली है जो अभी तक मेरे कलेक्शन में नहीं थे। फेनिल कॉमिक्स की एक बात मुझे खास पसंद नहीं आई और वह यह है की इनके सभी कॉमिक्स अलग-अलग आकार के होते हैं जिसकी वजह से एक ही प्रकाशक की सभी कॉमिक्स को एक pile में रखना थोड़ा difficult होता है।  खैर कॉमिक्स तो आ गई, पर अब बड़ा निर्णय यह था की किस कॉमिक से शुरुआत की जाए। काफी उलटने पलटने के पश्च...

Nagraj Fang... nostalgia trap

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फैंग कॉमिक्स की शुरुआत Diamond Comics के पाठकों में सेंध लगाने के लिए की गई थी। इस कॉमिक्स में छोटी-छोटी कहानियां होती थी जोकि चाचा चौधरी बिल्लू और पिंकी की कॉमिक्स की तरह लिखी जाती थी। किंतु इस कॉमिक्स में नागराज की छोटी-छोटी कहानियों को incorporate करके एक नया फ्लेवर देने की कोशिश की गई। नागराज की यह छोटी कहानियां काफी हद तक शक्तिमान धारावाहिक के अंत में आने वाले सॉरी शक्तिमान skits से प्रेरित थी। इन कहानियों में नागराज बच्चों को एक अच्छा संदेश देने का प्रयास करता था। वैसे तो नागराज एक आउट एंड आउट एक्शन सुपर हीरो है लेकिन इन कहानियों ने नागराज के fandom को छोटे बच्चो के बीच उतारने का प्रयास किया।  फैंग पत्रिका करीब 2 साल तक प्रकाशित हुई लेकिन यह वह उपलब्धि नहीं प्राप्त कर सकी जिसकी उम्मीद राज कॉमिक्स को थी।  वर्ष 2021 में कोविड से त्रस्त लोगो के बीच व्याप्त nostalgia factor का फायदा उठाते हुए Raj Comics by Manoj Gupta ने फैंग पत्रिका में प्रकाशित नागराज की सभी लघु कॉमिक्स का संग्रह पेश किया है जिसकी हर एक कहानी का करूंगा मैं micro dissection। 1. भाग सपेरा 👎🏽 वा...

जला हुआ जम्बू...दिमाग में भूकंप ला सकता है।

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जम्बू भारतीय कॉमिक्स इतिहास का एक बेहद चहेता एवं यादगार सुपर हीरो किरदार है। तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित इस एंड्राइड सुपर हीरो ने अंगारा और तौसी के साथ मिलकर तुलसी कॉमिक्स को एक वक्त भारत का शीर्ष कॉमिक्स प्रकाशक बना दिया था। लेकिन राज कॉमिक्स के उदय के साथ तुलसी का सूर्य अस्त होना प्रारंभ हो गया और तुलसी कॉमिक्स के यह अनमोल किरदार गुमनामी के अंधेरे में खो गए।  करीब तीन दशक के बाद comics India नामक एक नवीन प्रकाशक ने तुलसी कॉमिक्स को रीप्रिंट करके हमारे समक्ष प्रस्तुत करना प्रारंभ किया और कोरोना से त्रस्त जनता ने nostalgia से ग्रसित हो कर इन कॉमिक्स को हाथो हाथ लिया।  मैंने बचपन में जम्बू की कॉमिक्स के कुछ इश्तेहार देखे थे और पढ़ने के नाम पर केवल एक कॉमिक्स का अध्ययन किया था जिसका शीर्षक था जम्बू और शनिश्चर। वह कॉमिक्स उस वक्त मुझे काफी मनोरंजक लगी लेकिन उसका रिव्यू फिर कभी करूंगा। शायद यह उस कॉमिक्स का ही प्रभाव था कि मैंने कॉमिक्स इंडिया द्वारा प्रकाशित समस्त तुलसी कॉमिक्स खरीदने प्रारंभ कर दिए। अब जब मेरे पास एक अच्छा खासा कलेक्शन हो गया है तो मैंने इन कॉमिक्स...

कचरा पेटी...नाम पर मत जाओ, खरीद कर लाओ।

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आमतौर पर भारतीय कॉमिक्स के पाठक अक्सर यह शिकायत करते हैं कि भारतीय कॉमिक्स में कहानियों की continuity में काफी सारे gaps मिलते है। राज कॉमिक्स पर विशेषकर यह आरोप लगाया जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स की एक अहम किरदार रिचा उर्फ ब्लैक कैट है। अगर आप ब्लैक कैट के किरदार को देखे तो अनुपम सिन्हा जी ने रिचा के पिता को हर कॉमिक्स में एक नया व्यक्तित्व देते हुए एक नई backstory में मरवाया है। इसलिए राज कॉमिक्स की आलोचना जायज भी है। शायद इसीलिए जब संजय गुप्ता जी ने सूरज उर्फ डोगा के बचपन को लेकर रक्त कथा सीरीज की घोषणा की तो काफी सारे लोगों को यह डर लगा कि कहीं डोगा के ओरिजन को ही ना बदल दिया जाए।  इस रक्त कथा सीरीज का प्रथम अध्याय है कचरा पेटी। इस कॉमिक्स series में सूरज के जन्म से लेकर उसके डाकू हलकान सिंह की चंगुल से छूटने की महागाथा का वर्णन पेश किया जाएगा। तो आइए करते हैं इस महागाथा के प्रथम अध्याय का detailed dissection। 1. कथानक डोगा की बैकस्टोरी को फ्लैशबैक के माध्यम से बोर्न इन ब्लड सीरीज में टटोला गया था। उस श्रृंखला को पढ़ने वाले हर पाठक के ...

दोषपूर्ण...कुछ तो दोष है।

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मैं भेड़िया की कॉमिक्स का फैन कभी नहीं रहा। केवल संग्रह करने के लिए मैंने उसकी कुछ कॉमिक्स खरीद के रखी हुई हैं। लेकिन जब मैंने अमर प्रेम श्रृंखला को पूरी तरह से पढ़ा तो मैं मंत्रमुग्ध रह गया। इसके अलावा डोमा, भील, भागो पागल आया इत्यादि कुछ अंक मुझे पसंद आए। इसलिए मुझे भेड़िया की कहानियो, किरदारों एवं अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों की ज्यादा जानकारी नहीं है।  हाल ही में भेड़िया के अपने छोटे से कलेक्शन में मैंने राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता द्वारा प्रकाशित नए कॉमिक्स दोषपूर्ण को जोड़ा। मुझे इस कॉमिक्स का लुक काफी आकर्षक लगा और मैंने इस कहानी को काफी इंजॉय भी किया। लेकिन कुछ कारणों से यह कॉमिक्स अपने नाम को चरितार्थ करती है। तो बिना किसी लाग लपेट के और बिना कोई अन्य समय बर्बाद किए आइए करते हैं इस कॉमिक्स का dissection। 1. कथानक भेड़िया का यह कॉमिक्स भेड़िया की कहानी कम पड़ने वाले मेरे जैसे पाठक के लिए एक सिर दर्द भी बन सकता है। कुछ प्रश्न जैसे कि कोबी और भेड़िया पुनः एक कब हुए तथा जेन की मृत्यु कब हुई, यह प्रश्न एक नए पाठक को परेशान कर सकते हैं। बेहतर होता अगर इस कॉमिक्स में इन म...

मुसीबत का खेल...ठहाके फिर हुए फेल

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वैसे तो फिर आया बांकेलाल पढ़ने के बाद मेरी हिम्मत नहीं थी कि मैं दोबारा बांकेलाल की कोई नई कॉमिक्स पढ़ सकूं, लेकिन कॉमिक्स का कीड़ा इतना खतरनाक होता है कि जब तक आप प्रीऑर्डर नहीं कर देते, वह आपके दिमाग में काट काट के सर दर्द पैदा करता रहता है। अब अपने इसी सर दर्द का इलाज करने हेतु हमने बांकेलाल के नए कॉमिक्स "बांकेलाल और मुसीबत का खेल" का प्री आर्डर लगा दिया। बस फ्री शिपिंग के चक्कर में और कई preorder लगाने की गलती कर बैठा, नतीजा यह हुआ कि मेरी बांकेलाल की कॉमिक्स काफी देर में आई। कुछ कारणों से मैं भी पिछले 1 माह से घर से बाहर था इसलिए जब घर पहुंचा तो कॉमिक्स के पार्सल इंतजार कर रहे थे।  सभी पार्सल एक-एक करके खोलने के बाद मैंने अपने आपको समझाया कि जब 10 घंटे के थका देने वाले सफर को करने के बावजूद मुझमें इतनी हिम्मत है कि मैं कॉमिक्स के पांच पार्सल खोल सकता हूं, तो थोड़ी हिम्मत करके फिर आया बांकेलाल के sequel कॉमिक्स को भी पढ़ सकता हूं। बहुत प्रयास करने के बाद आखिरकार मैंने इस कॉमिक्स को खत्म किया और मन में विचार आया कि पिछले एक माह से सुप्त अवस्था में पड़े अपने ब्...