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Showing posts from September, 2021

आजादी की ज्वाला - Second reading review

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राज कॉमिक्स के दो भाग होने की खबरों के साथ ही कॉमिक्स प्रेमियों के मन मे यह डर बैठ गया था कि शायद यह भारतीय कॉमिक्स जगत का अंत है। जैसे कभी सर्कस मनोरंजन के साधन हुआ करते थे और लोग उनका बेसब्री से इंतज़ार करते थे, उसी प्रकार का या कहे उससे ज़्यादा बड़ा दर्ज़ा कॉमिक्स का है। ऐसे में डर था कि जिस प्रकार सर्कस लुप्त हो गए (और कुछ जला दिए गए), उसी प्रकार शायद ये राज कॉमिक्स और उसके साथ भारतीय कॉमिक्स के सुनहरे दिनों का अंत है।  ऐसे में RCMG द्वारा की गई घोषणा ने मानो हम सब कॉमिक्स चरसियों के जिस्म में प्राण फूंक दिए। हम सभी बेहद उत्सुकता से इंतज़ार करने लगे ध्रुव की एक alternate world में आधारित इस नई कॉमिक्स का जिसका नाम है                                                                 आज़ादी की ज्वाला   आज़ादी की ज्वाला RCMG के बैनर से निकली पहली कॉमिक्स है इसलिए इसके लिए उत्सुकता भी बेहद ज़्यादा थी। कवर पेज प्रतिशोध की ज्वाला के iconic कवर पेज पर आधारित है जो कि पाठको को nostalgia भी फील कराता है। और वाकई में नई कॉमिक्स को पकड़ के जो खुशी महसूस हुई थी, जिस दिन ये कॉमिक्स हाथ आयी थी,

Prince Comics... भूत प्रेत कथाओं का नया युवराज

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भारतीय कॉमिक्स जगत के नवजात शिशुओं को चलने के लिए प्रोत्साहित करने और अच्छी कहानियों का लुत्फ उठाने की मुहिम मुझे एक बार फिर ले गयी फेनिल कॉमिक्स की website पर। यहां मेरी नज़र पड़ी प्रिंस कॉमिक्स नामक पब्लिकेशन पर और बस आर्डर कर दिया गया। किसी भी नई कॉमिक्स कंपनी का product order करते time एक भय रहता है कि कही पैसे न डूब जाए। वैष्णवी चित्रकथा के case में अपनी जेब और अपना दिमाग भुनवाने के बाद बहुत हिम्मत करके ये आर्डर किये थे। इनके इंतेज़ार में मन थोड़ा आशंकित तो था और यह भय तब और बढ़ गया जब पहले सेट की दो बेहद पतली कॉमिक्स parcel से निकल कर बाहर आई।  90 रुपये में मात्र 14-16 पन्ने की कॉमिक्स देख कर लगा कि गुरु फिर ठगे गए। खैर अब जो हुआ सो हुआ कि philosophy को अपनाते हुए रात को कॉमिक्स लेकर बैठा गया और पढ़ने के बाद आपसे अपनी समीक्षा एक एक कर के साझा कर रहा हूँ।  1. जिन्न वरिष्ठ लेखक अंसार अख्तर की कलम से निकली यह horror science fiction genre की कॉमिक्स है। कहानी बेहद तेज़ चलती हैं और खत्म भी हो जाती हैं। कहानी का premise अच्छा है लेकिन कहानी में character development सही से नही हुआ

चुल्लू के कारनामे... याद दिला गए बिल्लू पिंकी के जमाने

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राज कॉमिक्स और डायमंड कॉमिक्स। ये वो दो नाम है जो कई दशकों से भारतीय कॉमिक्स जगत के दो ध्रुव बने हुए है। देखा जाए तो इन दोनों ने भारतीय कॉमिक्स की दुनिया को जीवित रखा है। और इन्ही के दिये भरोसे के बदौलत नए नए कॉमिक्स प्रकाशक इस व्यापार में उतरने की हिम्मत करते है। एक comic nerd के रूप में मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं इन सभी नए प्रकाशको की कॉमिक्स को खरीद के इनका रसपान करू ताकि अच्छे लेखकों एवं चित्रकारों के कार्य को प्रोत्साहन मिले। इसी क्रम में fenil comics की website से हमने स्वप्निल कॉमिक्स के प्रथम अंक को आर्डर किया। तो आइए इस कॉमिक्स को कसते है कसौटी पर और करते है स्वप्निल कॉमिक्स के debut का dissection। कॉमिक्स का दाम 120 रुपये है और इसमें 32 पृष्ठ है। कॉमिक्स पूरी तरह glossy pages में है और कॉमिक्स का overall feel अच्छा है। कॉमिक्स के पीछे आगामी प्रस्तावित कॉमिक्स के विज्ञापन दिए हैं जो promising लगते है। खैर भविष्य के गर्त में क्या है ये कोई नही जानता इसलिए अब बात करते है सिर्फ इस कॉमिक्स की। कॉमिक्स डायमंड की बिल्लू पिंकी और राज के किड्स कॉमिक्स की तर

रक्त प्यासी...जो कॉमिक्स प्रेमी की प्यास नहीं बुझा पाई

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बचपन मे पहली कॉमिक्स पढ़ी थी नागराज और वो कॉमिक्स माँ ने किराये के नए घर मे लाके दी थी ताकि मेरा और बड़े भाई का मन नई जगह लगे। बस वही से कीड़ा लग गया कॉमिक्स का जो आज 30 साल बाद भी दिमाग के किसी हिस्से में कुलबुलाता रहता है।  बस इसी कीड़े ने हमे fenilcomics.com पर विचरण करते वक़्त एक बार फिर काट लिया और हमने आर्डर कर दी वैष्णवी चित्रकथा नाम की नई कॉमिक्स कंपनी की पहली कॉमिक्स 'रक्त प्यासी'. 60 रुपये में 14 पेज की इस कॉमिक्स का हाथ मे लेकर मैं आज भी यही सोचता हूँ कि शायद उस कीड़े को थोड़ा सा मारना मेरी जेब और मेरे विवेक के लिए हितकर रहेगा। क्योंकि यह कॉमिक्स पढ़ने के बाद मैं खुद को ठगा हुआ ही महसूस करता हूँ।  कॉमिक्स की कहानी लिखी है सुभाष कुमार जी ने और परिकल्पना है कंपनी के संस्थापक नरेंद्र गोस्वामी जी की। कहानी बेहद साधारण है और कही पर भी कोई interest नही create करती है। climax काफी rushed है और पढ़ने के बाद आप बेहद बोर महसूस करेंगे।  चित्रांकन नीशू चौहान और सुभाष कुमार जी का है जोकि तुलसी कॉमिक्स के प्रथम सेट की कॉमिक्स 'भूत' और 'ड्रैकुला की तबाही' के स्तर

फौलाद CE... सच में फौलादी है ये

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फेनिल कॉमिक्स वैसे तो फेनिल कॉमिक्स कभी मेनस्ट्रीम कॉमिक्स पाठको के बीच कुछ खास स्थान नही बना पाई किन्तु फेनिल कॉमिक्स के संस्थापक अपने गज़ब सेंस ऑफ ह्यूमर से कॉमिक्स जगत में खासे लोकप्रिय है। इनके इसी हसमुख स्वभाव से मेरा सामना हुआ जब मैंने इनकी फौलाद वाली CE के दाम पर जोक मारा। शायद पवित्र गाय वाले भैया होते तो हमको ब्लॉक कर देते किन्तु फेनिल जी ने व्यंग को sportingly लेते हुए डैंकियापने का परिचय दिया। नतीजा यह रहा कि आत्मग्लानि से भर के हमने उसी रात CE आर्डर कर दी।  10 दिन के भीतर फौलाद की फौलादी बाउंड CE हमारे हाथों में थी और हमने उसे पढ़ा (झूठ बोल रहा हूं, हम पहले ही पीडीएफ पढ़ चुके थे). Anyways, हमने रिव्यु लिखने के लिए आज फिर से इसको पढ़ने का निर्णय लिया ताकि हम कर सके इसकी चीरफाड़ यानी dissection। फेनिल कॉमिक्स का CE वैसे तो 999 का है लेकिन इसकी क्वालिटी और साथ मिले 'उपहारों के खजाने' को देखते हुए यह बेहद justified प्राइस लगता है। कॉमिक्स बड़े साइज़ में मोटे ग्लॉसी पन्नो पर छापी गयी है। कुल मिला के यह CE एक प्रीमियम फील देता है।  इस CE में तीन कॉमिक्स है 1. फौलाद 

Born in Blood... Forgotten pages of Doga's origin.

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डोगा भारतीय कॉमिक्स जगत का सबसे अनूठा किरदार है। कुछ लोग बोलेंगे की यह Punisher की कॉपी है तो भाई हर बंदूक उठाने वाला आदमी एक नही होता। ऐसे तो रेम्बो भी punisher की कॉपी हुआ। अरे भाई back story भी तो देखो।  खैर ICUFC लेवल के इस विवाद में न जाते हुए आज हमने निर्णय लिया RCSG के बदौलत पूरी हुई हमारी Born in Blood सीरीज पढ़ने का।  और फिर एक घंटे में 5 कॉमिक्स और एक बड़े कप कॉफ़ी का स्वाद लेने का बाद हम बैठ गए लिखने इस सीरीज पर अपने विचार और करने इस कॉमिक्स का अपने dissection hall में चीर-फ़ाड़. Born in blood series में 5 कॉमिक्स है जिसमे कुल 2 कहानियां है। 1. डोगा तेरे कारण और नासूर डोगा - यह कहानी डोगा के अतीत से जुड़े ख्वाबो से शुरू होती है। जहां डोगा पाठको को fourth wall break करते हुए अपने अतीत के कुछ अनजान अध्यायों के बारे में बताता है वही parallel में डोगा के उन्ही किस्सो से मिलती जुलती एक कहानी चलती है। एक लेखक के रूप में संजय गुप्ता और वाही जी की जोड़ी ने एक जबरदस्त कहानी लिखी है जो भावनात्मक रूप से आपको सही गलत सोचने पर मज़बूर करती है। फ्लैशबैक और रियल टाइम में चल रही एक जैस

Dracula... कॉमिक्स पढ़िए, आनंदित रहिए।

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ड्रैकुला। Bram Stoker द्वारा रचित यह काल्पनिक किरदार शायद कॉमिक्स एवं फ़िल्म जगत में massively overused हुए fictional characters में से एक है। इस किरदार के नाम के साथ एक mystery, एक mystical aura और एक undeniable horror element जुड़ा है जिसके चलते ड्रैकुला को freely अलग अलग रूप में use किया गया है। अगर भारतीय कॉमिक्स की बात करे तो राज कॉमिक्स, मनोज कॉमिक्स और यहां तक कि डायमंड कॉमिक्स ने भी इस किरदार को लेकर सफल कॉमिक्स रचित की है जो कि सभी blockbuster साबित हुई है। ऐसे में bullseye publication द्वारा जब ड्रैकुला नाम से कॉमिक्स का एलान किया गया तो as a reader मुझे बहुत ज़्यादा interest नही आया। किन्तु आजकल कॉमिक्स लेने का ऐसा भूत लगा है कि दो बार preorder cancel करने के बाद आखिर मैंने preorder कर ही दिया। और यह मेरे जीवन मे बिना सोचे समझे लिए गए फैसलों में एक सफल decision का rare exception बन गया।  अगर इस कॉमिक्स को मुझे एक फ्रेम में define करना हो तो मैं यह फ्रेम शेयर करना चाहूंगा।  तो आइए अपनी dissection table पर इस कॉमिक्स का in detail examination करते है। 1. कथ

Incognito...the new kid on the block।

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वैसे तो मेरा पूरा बचपन राज कॉमिक्स के universe में ही भटकते हुए ही बीता किन्तु बीच बीच में मैं मनोज, तुलसी और डायमंड कॉमिक्स का रसपान भी कर ही लेता था। समय के साथ इसमें से बहुत से पब्लिकेशन विलुप्त हो गए और केवल राज कॉमिक्स ही जीवनसाथी बन के रह गयी। फिर आया कोरोना का भयावह काल। एक डॉक्टर होने के नाते, निरंतर भय और निराशा से लड़ाई लड़नी पड़ी। ऐसे में सुकून की तलाश में मैं फिर एक बार कॉमिक्स की दुनिया मे लौट आया और आते ही मेरा परिचय हुआ कॉमिक्स के एक नए संसार से। इस नए संसार मे बहुत से मित्र मिले और उन्ही में से सबसे युवा मित्र है स्वयंभू कॉमिक्स।  स्वयंभू कॉमिक्स भारतीय कॉमिक्स का सबसे नया कॉमिक्स पब्लिकेशन है और किसी भी नए publisher को कॉमिक्स readers के मन मे impact डालने के लिए अपने पहले अंक पर बहुत ध्यान देना होता है। अगर आपका पहला कॉमिक्स ही flop हो जाये तो आपकी कॉमिक्स डैंकिया नामक प्रजाति का भोजन बन जाती है। स्वयंभू कॉमिक्स अपनी पहली कॉमिक्स "Incognito - अंधेरे का भगवान" के साथ वो impact create करती है जिसके कारण casual readers भी आज इनके अगले अंक का इंतज़ार कर

नागप्रलय vs सर्पसत्र : battle of 2 icons.

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   राज कॉमिक्स में दो फ़ाड़ (खबरदार जो किसी ने सुप्तपाशा का जिक्र किया) होने के बाद दोनों ही धड़ो ने मार्केट में धमाकेदार एंट्री करने के लिए सहारा लिया तौसी का। तुलसी कॉमिक्स के इस हिट सुपरहीरो के कंधे पर चढ़ के दोनों RCMG और RCSG ने नए कॉमिक्स का एलान किया और पब्लिक ने भी nostlagia फैक्टर और जनूनीयत में आके दोनों कॉमिक्स को हाथों हाथ लिया। मैने भी ले ली लेकिन आज सोचा कि दोनों की तुलनात्मक समीक्षा करके देखते है कि कौन सी एंट्री ज़्यादा दमदार बनी है। सो पेशे खिदमत है नाग प्रलय vs सर्पसत्र : battle of 2 icons.     नाग प्रलय सर्पसत्र Cover Page 1. नाग प्रलय का कवर पेज अंदर की कथा के ही एक sequence से लिया गया है और पूरा look एक अलग ही feel देता है।   8/10 1. कवर पेज में अधिक से अधिक किरदारों को घुसाने की कोशिश की गई है जिसकी वजह से कवर clusterfucked लगता है। 5/10 Comic quality 2. कॉमिक इंटरनेशनल साइज की है जो पकड़ के पढ़ने में सहज लगती है। ग्लॉसी पेपर high GSM के इस्तेमाल किये है जो RCSG का क

This is a trap...I repeat this is a Trap.

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राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता इस तथ्य को भली भांति स्थापित कर रही है की राज कॉमिक्स के स्वर्णिम काल में संजय गुप्ता का बेहद अहम योगदान रहा था। युगारंभ इत्यादि को रिप्रिंट की श्रेणी में रखते हुए अगर सिर्फ नवीन कॉमिक्स की बात करे तो नाग प्रलय और आदि पर्व से संजय गुप्ता ने यह साबित किया की राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता से हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की कॉमिक्स प्राप्त होंगी।  इसी क्रम में RCSG लेकर आए है Trap जो की अनुपम सिन्हा जी द्वारा रचित किरदार और उसके संसार को एक नए पथ पर ले जाती दिखती है। मुझे यह कॉमिक्स comicsadda के माध्यम से प्राप्त हुई। आइए इस नई कॉमिक्स की समीक्षा करते है। 1. कथानक Trap कॉमिक्स को सुपर कमांडो ध्रुव की नही बल्कि चंडिका की कॉमिक्स कहना ठीक रहेगा। चंडिका हमेशा से ही ध्रुव यूनिवर्स का एक बेहद अहम किरदार रही है। हालाकि यह भी हास्य का विषय रहा है की तीव्र बुद्धि का मालिक ध्रुव आज तक यह तथ्य नही जान पाया की श्वेता ही चंडिका है। ट्रैप इसी तथ्य को लेकर आगे बढ़ती है की श्वेता को सदैव यह डर लगता है की कही उसका भाई उसकी दोहरी जिंदगी का सच न जान जाए। इसी थीम को एक्सप्ल