कचरा पेटी...नाम पर मत जाओ, खरीद कर लाओ।

आमतौर पर भारतीय कॉमिक्स के पाठक अक्सर यह शिकायत करते हैं कि भारतीय कॉमिक्स में कहानियों की continuity में काफी सारे gaps मिलते है। राज कॉमिक्स पर विशेषकर यह आरोप लगाया जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स की एक अहम किरदार रिचा उर्फ ब्लैक कैट है। अगर आप ब्लैक कैट के किरदार को देखे तो अनुपम सिन्हा जी ने रिचा के पिता को हर कॉमिक्स में एक नया व्यक्तित्व देते हुए एक नई backstory में मरवाया है। इसलिए राज कॉमिक्स की आलोचना जायज भी है। शायद इसीलिए जब संजय गुप्ता जी ने सूरज उर्फ डोगा के बचपन को लेकर रक्त कथा सीरीज की घोषणा की तो काफी सारे लोगों को यह डर लगा कि कहीं डोगा के ओरिजन को ही ना बदल दिया जाए। 

इस रक्त कथा सीरीज का प्रथम अध्याय है कचरा पेटी। इस कॉमिक्स series में सूरज के जन्म से लेकर उसके डाकू हलकान सिंह की चंगुल से छूटने की महागाथा का वर्णन पेश किया जाएगा। तो आइए करते हैं इस महागाथा के प्रथम अध्याय का detailed dissection।

1. कथानक
डोगा की बैकस्टोरी को फ्लैशबैक के माध्यम से बोर्न इन ब्लड सीरीज में टटोला गया था। उस श्रृंखला को पढ़ने वाले हर पाठक के मन में डोगा के शुरुआती सालों को जानने का कौतहूल होना natural है। कचरा पेटी की कहानी एक कचरा पेटी से शुरू होती है जहां पर डोगा को गश्त के वक्त एक बच्चा घायल अवस्था में मिलता है। वह दृश्य डोगा के मन में दबी अतीत की यादों को कुरेद देता है और डोगा उस घायल बच्चे को उठाकर अपने एक निजी मंदिर में ले आता है। इस मंदिर के चित्र पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी लेकिन इस कॉमिक्स को पढ़ने वाले और जरा सी भी समझ रखने वाले किसी भी शख्स को उनकी यह आपत्ति हास्यास्पद ही लगेगी। 
उस मासूम बच्चे के मन में पनप रही हिंसा को शांत करने के लिए सूरज उसे अपने अतीत की कहानी सुनाता है। 

कहानी बेहद तेज है किंतु मार्मिक भी है। सबसे अच्छी बात यह है की ये long term storytelling डोगा के शुरुआती अंको को जोड़ के लिखी गई है। डोगा की प्रथम कॉमिक्स ‘कर्फ्यू’ में हल्कान सिंह द्वारा सूरज को कचरा पेटी और कुत्ता जैसे अपशब्दों से संबोधित करते दिखाया गया है। वही दूसरे अंक ‘ये है डोगा’ में यह भी दिखाया गया है की सूरज जन्म से 15 साल की उम्र तक हलकान सिंह के साथ रहा था। ऐसे में उन 15 साल की कहानी लिखना तो बनता ही है। 

कचरा पेटी में डोगा के कुत्ता प्रेम को भी explore किया गया है। 

Logically एवं psychology के हिसाब से देखे तो हलकान सिंह द्वारा कुत्ता कहे जाने से सूरज के मन में उस शब्द के प्रति घृणा होनी चाहिए। ऐसे में काली और उसके बच्चो के साथ सूरज के जुड़ाव को दिखा के लेखक ने सूरज के मन में कुत्ता शब्द के लिए मौजूद सम्मान, प्यार और गर्व के पीछे के reason को beautifully और emotionally पेश किया है। 

यह कॉमिक्स काफी emotional है और इसकी कहानी की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है।

2. चित्रांकन 
अगर मनु जी के बाद किसी चित्रकार के बनाए गए डोगा के आर्ट की तारीफ की जाए तो वह निसंदेह दिलदीप सिंह जी है। यहां मैं इस बात का उल्लेख अवश्य करूंगा कि इंसान के चेहरे पर आने वाले भाव का चित्रांकन तो हर आर्टिस्ट कर सकता है किंतु इस कॉमिक्स में दिलदीप जी ने जिस खूबसूरती से कुत्तों विशेषकर सूरज की काली मां के चेहरे पर अलग-अलग भावों का चित्रांकन किया है वह उनकी कला के प्रति मुझे मजबूर कर देता है to take off my hat and pay my respect. 


इस कॉमिक्स का एक एक पेज अत्यंत खूबसूरत बना है। कलरिंग बेहद अच्छे से चित्रों को निखार के लाती है। 


कुल मिलाकर कचरा पेटी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की कॉमिक्स लगती है। संजय गुप्ता लगातार अपनी कॉमिक्स के क्वालिटी में सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं और उनका यह प्रयास कचरा पेटी कॉमिक्स में साफ दिखता है।

अगर आप भारतीय कॉमिक्स को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और अपने संग्रह में एक बेहतरीन कॉमिक्स रखना चाहते हैं तो कचरा पेटी को अवश्य खरीदें।


My verdict - 10/10 🥇



Comments

  1. वाह!!! इस लेख ने किताब के प्रति उत्सुकता जागृत कर दी है। जल्द ही इसे पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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  2. Nice to see that indian comics industry is regaining its vigour..

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