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Showing posts from October, 2021

दाबू और बयोकपन के बौने... untouched tales of Diamond comics

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Diamond Comics कभी भी प्राण साहब द्वारा रचित किरदारों जैसे कि चाचा चौधरी, रमन, पिंकी, बिल्लू इत्यादि की छाया से बाहर निकलने में सफल नहीं हुई। पूरा प्रकाशन प्राण साहब के लीजेंडरी किरदारों पर इस कदर निर्भर हो गया कि कई अच्छे किरदार apathy का शिकार होकर कॉमिक्स की भीड़ में कहीं खो गए। इन्हीं में से एक किरदार था दाबू जो कि एक बेहद बहादुर एवं जासूसी दिमाग रखने वाला लड़का था। दाबू के पहली कॉमिक्स जो मैंने पढ़ी थी, उसका नाम था दाबू और रानी रुक्मणी। यह कॉमिक्स मुझे खासी पसंद आई थी, लेकिन बाजार में दाबू की कॉमिक बमुश्किल ही मिलती थी, जिसकी वजह से इक्का-दुक्का कॉमिक्स के अलावा मुझे कभी भी इस किरदार को पूरी तरह से पढ़ने और समझने का आनंद नहीं प्राप्त हो सका।  जो चंद कॉमिक से मुझे पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उनमें से एक कॉमिक्स जिसे मैंने आज पड़ा उसका शीर्षक है दाबू और बायोकपन के बौने। तो आइए करते हैं इस कॉमिक्स का रिव्यू।  डायमंड कॉमिक्स के जो सबसे खराब बात मुझे लगती थी कि उनकी कॉमिक्स में लेखक अथवा चित्रकार तक का नाम कई बार नहीं प्रकाशित होता था या अगर होता भी था तो शायद कॉमिक से कि

भूतनाथ और आदमखोर... चिलम फूक के रची गई महागाथा

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कॉमिक्स का संसार बेहद विचित्र संसार है। यहां पाठक को क्या पसंद आ जाए, और क्या बिल्कुल भी पसंद ना आए, यह कई बार लेखक, चित्रकार और एवं प्रकाशक को भी गफलत में डाल सकता है। कई दफा, कोई बहुत ही बेकार सी कॉमिक्स सुपर हिट हो सकती है, तो वहीं इसके ठीक विपरीत, कई बार कोई बहुत ही अच्छी कॉमिक्स सुपर फ्लॉप भी।  खास करके जब हम बात करें सन 1990 के दौर में प्रकाशित हुई कॉमिक्सो की। कुछ ऐसा Nostlagia Factor जुड़ा हुआ है इन पुरानी कॉमिक्स के साथ कि आज वही पाठक, जो उस दौर में छोटे-छोटे बच्चे हुआ करते थे, इन महारथी कॉमिक्स के रिप्रिंट भी हाथों हाथ खरीदने के लिए बेताब मिलेंगे। अब तौसी और जम्बू की कॉमिक्स से बढ़कर शायद ही कोई उदाहरण मैं दे सकता हूं जो मेरे इस analysis को सही साबित करता हो। ऐसी ही एक कॉमिक्स जिस तक मुख्य किरदार, किन्ही अनजान mysterious कारणों की वजह से आज भी उस दौर के पाठकों में लोकप्रिय है, को पढ़ने का दुर्भाग्य मुझे प्राप्त हुआ। यह किरदार है नूतन कॉमिक से प्रकाशित होने वाला सुपर हीरो कम डिटेक्टिव कम 'ना जाने क्या-क्या', फैंटम की आधी पोशाक और सुपरमैन का लबादा ओढ़ के, अपने आड़े तिरछ

Hunter Shark Force... एक खोया हुआ नगीना

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आर्ट subjective होती है। किसी को किसी खास तरह की आर्ट पसंद आती है, तो किसी को किसी खास आर्टिस्ट की। अब अगर अपने भारतीय कॉमिक्स को ही ले लें, विशेषकर राज कॉमिक्स तो कुछ लोग अनुपम सिन्हा जी की भारी-भरकम एवं एक ही पैनल अधिक से अधिक कंटेंट डालने की आर्ट के फैन है, वहीं कुछ को बेदी जी का बांकेलाल का सरल लेकिन एक एक चित्र से हास्य प्रस्फुटित करने वाला चित्रांकन पसंद आता है। कुछ लोगों को प्रदीप साठे जी की अंगारा कॉमिक्स की आर्ट, जो कि बेहद ही सरल होती थी, वह पसंद आती है तो वही कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें मनु जी की शानदार आर्ट से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं। असल में देखा जाए तो आर्ट कहानी को complement करती है और किसी भी कॉमिक्स में आर्ट वही अच्छी होती है जो कहानी को और निखार कर सामने लाए या फिर कहा जाए की उस कहानी की theme से तालमेल खाती हो। ऐसा तभी संभव होता है जब चित्रकार और कहानीकार एक दूसरे के भाव को समझें या फिर तब जब कहानी लिखने वाला और चित्र बनाने वाला एक ही व्यक्ति हो।  कुछ इसी प्रकार की कॉमिक्स है जिसका आज हम करने जा रहे हैं dissection। इस कॉमिक्स की कहानी लिखने वाले और चित्र बनाने वाले व्यक्त

शो स्टॉपर ध्रुव ... A journey of emotions and suspense.

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शो स्टॉपर। वही तो है ध्रुव राज कॉमिक्स में। जो हर multistarrer कॉमिक्स में अपनी तीव्र बुद्धि से कहानी का पटाक्षेप करता है और दुनिया को खतरों से बचाता है। बुद्धि जिसके बल पर वह महामानव से लेकर हरु तक को परास्त कर लेता है। किंतु इस बुद्धिशाली मस्तिष्क में छुपा है एक दर्द भी। दर्द जिसे ध्रुव ने अपने कर्तव्यबोध के बोझ के नीचे गहराई में दबा रखा है। दर्द जिसे शायद कमिश्नर राजन, रजनी मेहरा और श्वेता के प्यार ने काफी हद तक भर भी दिया है। लेकिन उस दर्द के अवशेष ध्रुव के अवचेतन मस्तिष्क में आज भी बचे है। क्या होगा अगर कोई शक्ति ध्रुव के उसी दर्द को उसके विरुद्ध हथियार बना ले और वह भी इस तरह की ध्रुव को पता भी न चले कि कब वह हथियार उसके विरुद्ध चला और कब वह शिकार हो गया। ऐसी ही एक कहानी लिखी नितिन मिश्रा जी ने और उस कहानी को टाइटल दिया गया "शो स्टॉपर ध्रुव" . आज अपने 1400 कॉमिक्स के संग्रह की सफाई करते हुए मेरी नज़र इस कॉमिक्स पर पड़ी किन्तु मुझे कहानी काफी धुंधली सी याद आयी। वैसे भी करीब 4 साल पहले पड़ी थी इसलिए उम्र या यादाश्त को दोष देना सही नही लगा। खैर, revision हेतु हमने

An old debt to settle...fan fiction story review

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वैसे तो मेरा ब्लॉग है कॉमिक्स की समीक्षा के लिए बनाया गया किंतु आज फेसबुक पर बने एक मित्र श्री प्रदीप बरनवाल जी के आग्रह पर मैंने उनकी लिखी एक फैन मेड कहानी पढ़ने का निर्णय लिया। यह कहानी एक किरदार के इर्द-गिर्द लिखी गई जिसकी कॉमिक शायद एक्स फाइल और आरडीएक्स के बाद मल्टीस्टारर के रूप में पढ़ी है। यह किरदार है तिरंगा।  तिरंगा जब राज कॉमिक्स ने लांच किया था तब वह मेरे पसंदीदा किरदारों में से एक था, लेकिन एक समय ऐसा आया जब राज कॉमिक्स ने कॉमिक छापने की अमरीकी मशीन फुल स्पीड पर चालू कर दी और हर महीने दो से तीन सेट, जिनमें हर सेट में पांच से छह कॉमिक्स होती थी निकालने लगी। अब एक school going छात्र के लिए इतनी कॉमिक खरीदना संभव नहीं, इसलिए मुझे तिरंगा की कॉमिक्स कुर्बान करनी पड़ी।  इस वजह से मुझे ज्योति, ज्वाला, विशनखा, हवलदार इन सभी किरदारों की ज्यादा जानकारी या कहे तो कोई भी जानकारी नहीं थी, किंतु प्रदीप बरनवाल द्वारा लिखी गई इस फैनफिक्शन महागाथा ने मेरे मन में तिरंगा की समस्त कॉमिक्स खरीदने और उन्हें पढ़ने का कीड़ा छोड़ दिया है।  आप में से जिन लोगों ने यह फैनफिक्शन कॉमिक्स नहीं पड़ी है, उन

सूजीमैन...Dark Magic comics presents a dank magic comics

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कॉमिक्स लिखना एक कला है। उसको चित्रों में उतारना उससे भी बड़ी कला है। इन्ही दो स्तंभो पर कॉमिक्स की सफलता निर्भर करती है। लेकिन सिर्फ इन दोनों के होने से कॉमिक्स छप नही जाती है। न जाने ऐसी कितनी कहानिया और ऐसे कितने कहानीकार और चित्रकार, कॉमिक्स इंडस्ट्री का रास्ता खोजते खोजते ध्वस्त हो गए। Then came the age of internet. और फिर अम्बानी जी ने दिया सस्ते इंटरनेट का श्राप। cringe content की बाढ़ आ गयी किन्तु इस सस्ते इंटरनेट ने मौका दिया देश के कोने कोने में धूल खा रही प्रतिभाओ को मौका। इसी मौके का इस्तेमाल कर के कुछ कॉमिक्स के दीवानों ने शुरू की dark magic comics और उन कॉमिक्स को ब्लॉग पर डालना शुरू किया। बस ऐसी ही एक कॉमिक्स का लिंक हमारे पास आ गया और हमने तय किया कि कॉमिक्स प्रकाशको की कॉमिक्स का review कई बार किया है किन्तु आज इन छुपी प्रतिभाओ का भी किया जाए dissection। तो आज की हमारी कॉमिक्स है सुजीत चौहान भाई द्वारा लिखित सूजी-मैन। 1. कथानक यह कॉमिक्स पढ़ने के बाद लेखक को पहला सुझाव यही दूंगा की Dark magic comics का नाम बदल के Dank magic कर दे क्योंकि यह कॉमिक्स बवाल है। सु

आदिपर्व...स्वर्णिम युग में वापसी का द्वार

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कहानियों का संसार बेहद विचित्र लेकिन अंत हीन होता है खास करके जब बात हो रही हो कॉमिक्स की। कॉमिक्स की दुनिया में कब क्या हो जाए या कहा नहीं जा सकता और जो हो रहा है उसको झुठलाया भी नहीं जा सकता। कहानियों की एक कमी भी होती है अगर किसी कहानी को बहुत लंबा खींचा जाए तो धीरे-धीरे करके उसमें नीरसता का संचार होने लगता है। कुछ ऐसा ही राज कॉमिक्स के मुख्य किरदार नागराज की कहानियों में होने लगा था। खजाने की खोज के बाद शुरू हुआ विश्व रक्षक नागराज का सफर धीरे धीरे एक दायरे में बंधना शुरू हो गया था। अब अगर यह कोई सच्ची कहानी होती है तो इसमें बदलाव करना असंभव होता लेकिन यह कल्पनाओं का संसार है, यहां पर मात्र कल्पनाओं को पंख देने की जरूरत है और वह अनंत आकाश में किस दिशा में उड़ान भर लेंगे यह कई बार लेखक भी नहीं सोच पाता है। इसी प्रकार विश्व रक्षक नागराज की कहानियों में उत्पन्न हो रही नीरसता को भंग करने के लिए पहले आतंक हरता और उसके पश्चात एक नए आयाम के नरक नाशक नागराज की रचना, हमारे देसी stan lee श्री संजय गुप्ता जी की कल्पना शक्ति से हुई। बदलाव के साथ भी एक समस्या होती है की वह अधिकतर लोगों को पसंद न

बांकेलाल कवर विवाद...क्या कहेंगे महादेव।

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धर्म! बेहद नाजुक होता है यह धर्म. किसी का गीत संगीत से आहत हो जाता है, तो किसी का मात्र एक चित्र से। इस दुनिया में सैकड़ों धर्म है कुछ छोटे, कुछ बड़े, कुछ शक्तिशाली, कुछ विलुप्त लेकिन एक धर्म ऐसा भी है जो समावेशी है, जहाँ हर विचार का आदर होता है, सम्मान होता है क्योंकि उस धर्म का आधार ही है 'एकम सत विप्रा बहुदा वदंति' अर्थात There is only one truth, but there may be many ways to find it. हिंदू धर्म की जो सबसे बड़ी खासियत है वह यह है की हिंदू धर्म में भगवान रूढ़ियों से बंधा हुआ ऊंचे सिंहासन पर बैठा कोई राजा नहीं है जिसका आदेश मानना अनिवार्य है। हिंदू धर्म में ईश्वर अर्थात भगवान भक्त के वश में होता है, जैसा कि एक बेहद सुरीली मगर अर्थपूर्ण भजन में कहा गया है "भगत के वश में है भगवान।" हिंदू धर्म में ईश्वर अर्थात भगवान किसी का सखा है, तो किसी का भाई, किसी का पिता है, तो किसी का पुत्र, किसी का प्रेमी है तो किसी का इष्ट। भगवान वह रूप धरता है जिस रूप में भक्त उसे देखना चाहता है उसे पाना चाहता है। हिन्दू धर्म मे ईश्वर का चित्रण भक्त की कल्पना शक्ति पर निर्भर होता है। कोई मिट्ट