दोषपूर्ण...कुछ तो दोष है।

मैं भेड़िया की कॉमिक्स का फैन कभी नहीं रहा। केवल संग्रह करने के लिए मैंने उसकी कुछ कॉमिक्स खरीद के रखी हुई हैं। लेकिन जब मैंने अमर प्रेम श्रृंखला को पूरी तरह से पढ़ा तो मैं मंत्रमुग्ध रह गया। इसके अलावा डोमा, भील, भागो पागल आया इत्यादि कुछ अंक मुझे पसंद आए। इसलिए मुझे भेड़िया की कहानियो, किरदारों एवं अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों की ज्यादा जानकारी नहीं है। 

हाल ही में भेड़िया के अपने छोटे से कलेक्शन में मैंने राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता द्वारा प्रकाशित नए कॉमिक्स दोषपूर्ण को जोड़ा। मुझे इस कॉमिक्स का लुक काफी आकर्षक लगा और मैंने इस कहानी को काफी इंजॉय भी किया। लेकिन कुछ कारणों से यह कॉमिक्स अपने नाम को चरितार्थ करती है।

तो बिना किसी लाग लपेट के और बिना कोई अन्य समय बर्बाद किए आइए करते हैं इस कॉमिक्स का dissection।

1. कथानक
भेड़िया का यह कॉमिक्स भेड़िया की कहानी कम पड़ने वाले मेरे जैसे पाठक के लिए एक सिर दर्द भी बन सकता है। कुछ प्रश्न जैसे कि कोबी और भेड़िया पुनः एक कब हुए तथा जेन की मृत्यु कब हुई, यह प्रश्न एक नए पाठक को परेशान कर सकते हैं। बेहतर होता अगर इस कॉमिक्स में इन महत्वपूर्ण प्रकरणों से संबंधित कॉमिक्स का जिक्र भी संबंधित पृष्ठ के नीचे लिखा होता। यह इस कथानक का एक बड़ा दोष है जिसे आगामी अंक में दूर करना चाहिए। 

खैर अगर एक stand alone कॉमिक्स series के रूप में देखें तो दोषपूर्ण की कहानी काफी रोमांचित करती है। कहानी में कई नए और पुराने किरदार introduce किए गए हैं जोकि आने वाले भागों के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं। 

कुछ लोगों को अवधूत का प्रस्तुतीकरण अच्छा नहीं लगा लेकिन मेरा यह मानना है की अवधूत के व्यक्तित्व का एक नया पहलू हमें इस कथानक में देखने को मिला है जो कि इस सशक्त किरदार को और interesting बनाता है। 

अनुराग सिंह द्वारा लिखी गई यह कहानी एक नॉन भेड़िया पाठक को भेड़िया के संसार में खींचने की capacity रखती है।

2. चित्रांकन
अब बात करते हैं इस कॉमिक्स के सबसे बड़े दोष की। नरेश कुमार जी का चित्रांकन। नरेश कुमार जी द्वारा रचित चित्रों का संसार बेहद खूबसूरत बना है खास करके splash page और जंगली कबीले तथा वन का चित्रण काफी सराहनीय है किंतु उनके द्वारा किया गया भेड़िया का चित्रण कॉमिक्स का सबसे बड़ा दोष है। यह बात सत्य है की भेड़िया का face थोड़ा बदसूरत दिखना चाहिए जो कि उसके जंगल का जल्लाद वाले title को justify कर सके किंतु नरेश कुमार जी द्वारा कई पैनल्स में भेड़िया का चित्रण मन में unintentionally हास्य रस पैदा करता है। 


दोषपूर्ण संजय गुप्ता जी की एक बेहतरीन पेशकश है लेकिन मात्र भेड़िया के चित्रण से इसकी quality कम हो जाती है। 

कुछ लोगों को इस कॉमिक्स में जंगली कबीले और कबीले वासियों के नामों पर आपत्ति है। ऐसे लोगों से मैं यही आग्रह करूंगा कि आप भारत के सुदूर इलाकों में रहने वाली जनजातियों के बीच जाने की कृपा करें ताकि आपको यह सत्य पता चल सके की आज भी भारत के गांव विशेषकर जंगली इलाकों में इस प्रकार के अजीब नाम होना आम बात है। 

राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता की सबसे विशेष बात जो उनके पिछले 4 अंकों में मैंने देखी है वह यह है की सभी कॉमिक्स के कवर बेहद attractive बने हैं। Don't judge a book by its cover। यह कहावत कुछ हद तक गलत भी है क्योंकि आजकल की fast generation किताबों को केवल कवर देखकर खरीद लेती है। ऐसे में संजय गुप्ता द्वारा अपनी कॉमिक्स के कवर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जोकि एक कॉमिक्स non reader को भी कॉमिक्स की तरफ आकर्षित कर सकता है। 


कुल मिलाकर यह कॉमिक्स भी खरीदने और सहेज कर रखने योग्य है। 

My Verdict - 7/10


Comments

  1. कथानक के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख.... जहाँ तक मेरी जानकारी है भेड़िया आसाम के जंगलों में निवास करता है.... ऐसे में अगर लेखक वहाँ के ट्राइब्स के विषय में रिसर्च करके नाम रखते तो बेहतर होता... ऐसे में वह उस संस्कृति से भी पाठकों का परिचय करवाता...

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