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नागप्रलय vs सर्पसत्र : battle of 2 icons.

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   राज कॉमिक्स में दो फ़ाड़ (खबरदार जो किसी ने सुप्तपाशा का जिक्र किया) होने के बाद दोनों ही धड़ो ने मार्केट में धमाकेदार एंट्री करने के लिए सहारा लिया तौसी का। तुलसी कॉमिक्स के इस हिट सुपरहीरो के कंधे पर चढ़ के दोनों RCMG और RCSG ने नए कॉमिक्स का एलान किया और पब्लिक ने भी nostlagia फैक्टर और जनूनीयत में आके दोनों कॉमिक्स को हाथों हाथ लिया। मैने भी ले ली लेकिन आज सोचा कि दोनों की तुलनात्मक समीक्षा करके देखते है कि कौन सी एंट्री ज़्यादा दमदार बनी है। सो पेशे खिदमत है नाग प्रलय vs सर्पसत्र : battle of 2 icons.     नाग प्रलय सर्पसत्र Cover Page 1. नाग प्रलय का कवर पेज अंदर की कथा के ही एक sequence से लिया गया है और पूरा look एक अलग ही feel देता है।   8/10 1. कवर पेज में अधिक से अधिक किरदारों को घुसाने की कोशिश की गई है जिसकी वजह से कवर clusterfucked लगता है। 5/10 Comic quality 2. कॉमिक इंटरनेशनल साइज की है जो पकड़ के पढ़ने में सहज लगती है। ग्लॉसी पेपर high GSM के इस्तेमाल किये है जो RCSG का क

This is a trap...I repeat this is a Trap.

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राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता इस तथ्य को भली भांति स्थापित कर रही है की राज कॉमिक्स के स्वर्णिम काल में संजय गुप्ता का बेहद अहम योगदान रहा था। युगारंभ इत्यादि को रिप्रिंट की श्रेणी में रखते हुए अगर सिर्फ नवीन कॉमिक्स की बात करे तो नाग प्रलय और आदि पर्व से संजय गुप्ता ने यह साबित किया की राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता से हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की कॉमिक्स प्राप्त होंगी।  इसी क्रम में RCSG लेकर आए है Trap जो की अनुपम सिन्हा जी द्वारा रचित किरदार और उसके संसार को एक नए पथ पर ले जाती दिखती है। मुझे यह कॉमिक्स comicsadda के माध्यम से प्राप्त हुई। आइए इस नई कॉमिक्स की समीक्षा करते है। 1. कथानक Trap कॉमिक्स को सुपर कमांडो ध्रुव की नही बल्कि चंडिका की कॉमिक्स कहना ठीक रहेगा। चंडिका हमेशा से ही ध्रुव यूनिवर्स का एक बेहद अहम किरदार रही है। हालाकि यह भी हास्य का विषय रहा है की तीव्र बुद्धि का मालिक ध्रुव आज तक यह तथ्य नही जान पाया की श्वेता ही चंडिका है। ट्रैप इसी तथ्य को लेकर आगे बढ़ती है की श्वेता को सदैव यह डर लगता है की कही उसका भाई उसकी दोहरी जिंदगी का सच न जान जाए। इसी थीम को एक्सप्ल

फिर क्यो आया बांकेलाल?

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भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री, लॉकडाउन के बाद मानो ताला तोड़ के किसी कैद से बाहर आ गई है। जहा एक और राज कॉमिक्स दो या तीन फाड़ (तीसरा फाड़ अमेरिकन प्रिंटर में ink ख़त्म होने के चलते फसा हुआ है) होने के बाद फिर से कॉमिक्स जगत पर दबदबा बना रही है, वही कॉमिक्स इंडिया नाम की स्टार्टअप ने तुलसी, राधा और मनोज कॉमिक्स को पुनर्जीवन देने के लिए किताबो के कब्रिस्तान को खोद दिया है। शायद यह लॉकडाउन कॉमिक्स जगत के लिए एक वरदान सा बन कर आया है। खैर, कॉमिक्स इंडस्ट्री का भविष्य तो नए युग के साथ ताल मेल बैठाता उसका कंटेंट ही तय करेगा किंतु यह स्पष्ट है कि भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री का बेड़ा गर्क तय है अगर फिर आया बांकेलाल जैसी कॉमिक्स दुबारा बनती है।  In the name of comics, this is a poor attempt to cash into a tragedy like corona pandemic and needs to be called for it's insensitivity.  तो बात करते है कॉमिक्स की 1. कथानक कहानी बेहद लचर है और चुटकुले जबरदस्ती ठूंसने की कोशिश की गई है। प्रथम 2-3 पृष्ठ के बाद कॉमिक्स का humour दम तोड़ देता है। साथ ही कई ऐसे elements भुला दिए गए है जो बांकेलाल क