आजादी की ज्वाला - Second reading review

राज कॉमिक्स के दो भाग होने की खबरों के साथ ही कॉमिक्स प्रेमियों के मन मे यह डर बैठ गया था कि शायद यह भारतीय कॉमिक्स जगत का अंत है। जैसे कभी सर्कस मनोरंजन के साधन हुआ करते थे और लोग उनका बेसब्री से इंतज़ार करते थे, उसी प्रकार का या कहे उससे ज़्यादा बड़ा दर्ज़ा कॉमिक्स का है। ऐसे में डर था कि जिस प्रकार सर्कस लुप्त हो गए (और कुछ जला दिए गए), उसी प्रकार शायद ये राज कॉमिक्स और उसके साथ भारतीय कॉमिक्स के सुनहरे दिनों का अंत है।  ऐसे में RCMG द्वारा की गई घोषणा ने मानो हम सब कॉमिक्स चरसियों के जिस्म में प्राण फूंक दिए। हम सभी बेहद उत्सुकता से इंतज़ार करने लगे ध्रुव की एक alternate world में आधारित इस नई कॉमिक्स का जिसका नाम है

                                                                आज़ादी की ज्वाला
 

आज़ादी की ज्वाला RCMG के बैनर से निकली पहली कॉमिक्स है इसलिए इसके लिए उत्सुकता भी बेहद ज़्यादा थी। कवर पेज प्रतिशोध की ज्वाला के iconic कवर पेज पर आधारित है जो कि पाठको को nostalgia भी फील कराता है। और वाकई में नई कॉमिक्स को पकड़ के जो खुशी महसूस हुई थी, जिस दिन ये कॉमिक्स हाथ आयी थी, वैसी खुशी तो श्रीमान यूट्यूबर को अपनी किसी पोस्ट पर 5 लाइक देख कर भी नही होती होगी। खैर कवर पेज को निहारने के बाद हमने खोली कॉमिक्स और उसके बाद के हमारे emotion, delhi belly में विजय राज के russian doll से हीरे निकालने पर आए emotion से मेल खाते है। 

खैर बहुत दिनों बाद सदमे से निकलने के बाद हमने आज फिर ये कॉमिक्स खोली ताकि इसकी समीक्षा कर सके तो चलिए करते है इस pile of garbage का dissection।

1. चित्रांकन 
देबज्योति जी द्वारा इस कॉमिक्स में किया गया चित्रांकन काफी हट के है। यह कॉमिक्स को एक unique look देता है। हालांकि यह आर्ट स्टाइल बहुत कम ही लोगो को पसंद आया होगा किन्तु कभी कभी usual से हट के कुछ serve हो तो अच्छा लगता ही है। 

2. कथानक 
अब बात करते है इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी समस्या की और वो है कहानी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी किसी भी काल्पनिक कहानी के साथ समस्या यही होती है कि आप उसके अंत मे अंग्रेजो को हारते हुए नही दिखा सकते क्योंकि फिर वह काल्पनिक कथा कपोल गप्प लगती है। alternate history की कहानियों के लिए वैसे भी भारतीय जनता अभी परिपक्व नही हुई है (I am looking at you Dracula San).
अगर आप अंग्रेजो को जीता दिखाते है तो आपका हश्र क्रांति फ़िल्म जैसा होता है और अगर आप अंग्रेजो को हारा हुआ दिखाते है तो आप thugs of hindustan की श्रेणी में खुद को पाते है। बस इस सीरीज का भी यही हश्र होना स्वाभाविक है। 
Alternate history पर अगर कोई अच्छी कहानी लिखी गई है तो वह है नागराज और ध्रुव की कॉमिक्स संग्राम। इस कॉमिक्स में भी अंग्रेज दुश्मन है लेकिन कहानी को भारत की आज़ादी के समय के करीब रख के बेहद खूबसूरती से रचा गया है जिससे कि कहानी believable हो जाती है। 

कॉमिक्स की कहानी में दूसरी समस्या है मुख्य हीरो के चयन की। अगर इसमें ध्रुव की जगह डोगा को लेते तो कहानी में आप उसे खूंखार क्रांतिकारी के रूप में दिखा सकते थे। किंतु आपने लिया ध्रुव को। अब ध्रुव के साथ समस्या ये है कि भाई साहब हथियार उठाएंगे नही, अंग्रेजो को मारेंगे नही तो फिर वो जंग कैसे जीतेंगे यह समझ से परे है। ध्रुव गांधी और भगत सिंह के बीच मझधार में डूबता एक दिशा विहीन किरदार नज़र आता है। अगर आप अंग्रेजो को मारोगे नही तो वह आपकी इसी उदारता का फायदा उठाएंगे। कही एक साथ 100 अंग्रेज सैनिक ध्रुव अंकल (मूछो में भैया वाली फील नही आती) से लड़ने आ गए तो ध्रुव भैया लड़ते लड़ते ही मर जायेंगे। 

कॉमिक्स की तीसरी समस्या है वाही जी के dialogues। कॉमिक्स के डायलाग बेहद bland और cliche है। 


कुल मिला के यह कॉमिक्स RCMG में creative thinking की कमी को उजागर करती है। I am sure की यह कॉमिक्स राज कॉमिक्स में आये अकाल से त्रस्त भूखे प्यासे जनूनीयो की अंतड़िया कुलबुलाती भूख के चलते बेहद बिकी होगी लेकिन इसको पढ़ने के बाद अधिकतर जनूनी 9 दिन के उपवास पर चले गए होंगे। 

कुल मिला के RCMG द्वारा अभी तक कोई भी mind blowing नई कॉमिक्स नही प्रस्तुत की गई है। आशा है कि आने वाले समय मे कुछ अच्छा मिलेगा।

My Verdict - 3.5/10

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