चुल्लू के कारनामे... याद दिला गए बिल्लू पिंकी के जमाने


राज कॉमिक्स और डायमंड कॉमिक्स। ये वो दो नाम है जो कई दशकों से भारतीय कॉमिक्स जगत के दो ध्रुव बने हुए है। देखा जाए तो इन दोनों ने भारतीय कॉमिक्स की दुनिया को जीवित रखा है। और इन्ही के दिये भरोसे के बदौलत नए नए कॉमिक्स प्रकाशक इस व्यापार में उतरने की हिम्मत करते है। एक comic nerd के रूप में मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं इन सभी नए प्रकाशको की कॉमिक्स को खरीद के इनका रसपान करू ताकि अच्छे लेखकों एवं चित्रकारों के कार्य को प्रोत्साहन मिले। इसी क्रम में fenil comics की website से हमने स्वप्निल कॉमिक्स के प्रथम अंक को आर्डर किया। तो आइए इस कॉमिक्स को कसते है कसौटी पर और करते है स्वप्निल कॉमिक्स के debut का dissection।

कॉमिक्स का दाम 120 रुपये है और इसमें 32 पृष्ठ है। कॉमिक्स पूरी तरह glossy pages में है और कॉमिक्स का overall feel अच्छा है। कॉमिक्स के पीछे आगामी प्रस्तावित कॉमिक्स के विज्ञापन दिए हैं जो promising लगते है। खैर भविष्य के गर्त में क्या है ये कोई नही जानता इसलिए अब बात करते है सिर्फ इस कॉमिक्स की।


कॉमिक्स डायमंड की बिल्लू पिंकी और राज के किड्स कॉमिक्स की तर्ज़ पर बनी है। इसमें मुख्य किरदार की छोटी छोटी 6 कहानिया है। कहानी स्कूल जाने वाले एक शैतान लड़के चुल्लू के इर्द गिर्द बुनी गयी है। कहानिया काफी सरल और light humour के साथ present की गई है। स्वप्निल सिंह की परिकल्पना को लेखक अरविंद कुमार यादव ने काफी अच्छा रूप दिया है। लेकिन इस कॉमिक्स के असली स्टार है चित्रकार मोहित आर्या। कॉमिक्स के एक एक फ्रेम में उनकी कला मन मोहित करती है। चुल्लू के चेहरे पर हाव भाव और विशेषकर शैतानी और खुराफात के expressions को उन्होंने बखूबी प्रस्तुत किया है। सच तो ये है कि कहानी से ज़्यादा आर्ट आपको हँसाती है। कुल मिला के सुपरहीरो और graphic novels की आज की दुनिया मे यह कॉमिक्स bygone era की refreshing feel लेकर आती है।

My Verdict - 8/10 

स्वप्निल कॉमिक्स के आगामी अंको का इंतज़ार रहेगा। तब तक reprints ही पढ़े जाए।

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