रक्त प्यासी...जो कॉमिक्स प्रेमी की प्यास नहीं बुझा पाई
बचपन मे पहली कॉमिक्स पढ़ी थी नागराज और वो कॉमिक्स माँ ने किराये के नए घर मे लाके दी थी ताकि मेरा और बड़े भाई का मन नई जगह लगे। बस वही से कीड़ा लग गया कॉमिक्स का जो आज 30 साल बाद भी दिमाग के किसी हिस्से में कुलबुलाता रहता है।
बस इसी कीड़े ने हमे fenilcomics.com पर विचरण करते वक़्त एक बार फिर काट लिया और हमने आर्डर कर दी वैष्णवी चित्रकथा नाम की नई कॉमिक्स कंपनी की पहली कॉमिक्स 'रक्त प्यासी'.
60 रुपये में 14 पेज की इस कॉमिक्स का हाथ मे लेकर मैं आज भी यही सोचता हूँ कि शायद उस कीड़े को थोड़ा सा मारना मेरी जेब और मेरे विवेक के लिए हितकर रहेगा। क्योंकि यह कॉमिक्स पढ़ने के बाद मैं खुद को ठगा हुआ ही महसूस करता हूँ।
कॉमिक्स की कहानी लिखी है सुभाष कुमार जी ने और परिकल्पना है कंपनी के संस्थापक नरेंद्र गोस्वामी जी की। कहानी बेहद साधारण है और कही पर भी कोई interest नही create करती है। climax काफी rushed है और पढ़ने के बाद आप बेहद बोर महसूस करेंगे।
चित्रांकन नीशू चौहान और सुभाष कुमार जी का है जोकि तुलसी कॉमिक्स के प्रथम सेट की कॉमिक्स 'भूत' और 'ड्रैकुला की तबाही' के स्तर का है। शायद यह आर्ट 1980-1990 के जमाने में चल जाता किन्तु आज पाठको के पास तुलना हेतु Marvel/DC इत्यादि की कॉमिक्स मौजूद है। ऐसे में इस कॉमिक्स का आर्ट किसी को भी पसंद आएगा इसकी संभावना जीरो है।
कुल मिला के यह कॉमिक्स waste of money और waste of time है। Saving grace के रूप में बैक कवर पर आगामी कॉमिक्स का ad दिया है जो आकर्षक लगता है। निरंकुश गौतम नामक यह किरदार शायद वैष्णवी चित्रकथा की नाव को पाठको के दिल मे डूबने से बचा ले।
My Verdict - 0.5/10
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