An old debt to settle...fan fiction story review

वैसे तो मेरा ब्लॉग है कॉमिक्स की समीक्षा के लिए बनाया गया किंतु आज फेसबुक पर बने एक मित्र श्री प्रदीप बरनवाल जी के आग्रह पर मैंने उनकी लिखी एक फैन मेड कहानी पढ़ने का निर्णय लिया। यह कहानी एक किरदार के इर्द-गिर्द लिखी गई जिसकी कॉमिक शायद एक्स फाइल और आरडीएक्स के बाद मल्टीस्टारर के रूप में पढ़ी है। यह किरदार है तिरंगा। 

तिरंगा जब राज कॉमिक्स ने लांच किया था तब वह मेरे पसंदीदा किरदारों में से एक था, लेकिन एक समय ऐसा आया जब राज कॉमिक्स ने कॉमिक छापने की अमरीकी मशीन फुल स्पीड पर चालू कर दी और हर महीने दो से तीन सेट, जिनमें हर सेट में पांच से छह कॉमिक्स होती थी निकालने लगी। अब एक school going छात्र के लिए इतनी कॉमिक खरीदना संभव नहीं, इसलिए मुझे तिरंगा की कॉमिक्स कुर्बान करनी पड़ी। 

इस वजह से मुझे ज्योति, ज्वाला, विशनखा, हवलदार इन सभी किरदारों की ज्यादा जानकारी या कहे तो कोई भी जानकारी नहीं थी, किंतु प्रदीप बरनवाल द्वारा लिखी गई इस फैनफिक्शन महागाथा ने मेरे मन में तिरंगा की समस्त कॉमिक्स खरीदने और उन्हें पढ़ने का कीड़ा छोड़ दिया है। 

आप में से जिन लोगों ने यह फैनफिक्शन कॉमिक्स नहीं पड़ी है, उनके लिए मैं प्रदीप बरनवाल जी से आग्रह करूंगा कि इस पूरी महागाथा को एक ब्लॉग के स्वरूप में पेश करने का कष्ट करें, ताकि सभी लोग इस सस्पेंस एवं भावनाओं से भरपूर कहानी का मजा ले सकें। 

तो आइए बात करते हैं इस कहानी की जिसका नाम है "An old debt to settle".

आमतौर पर मैं अपने रिव्यू में कहानी के बारे में ज्यादा disclose नहीं करता हूँ। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मेरी समीक्षा केवल मेरे perspective से होती है और मेरी कोशिश यह रहती है कि पाठकों को कॉमिक्स कि अच्छे और बुरे पॉइंट्स बताऊ। कॉमिक्स पढ़ने या ना पढ़ने का निर्णय पूरी तरह से मैं individual विशेष के ऊपर छोड़ देता हूं, इसलिए मेरे review में आपको कभी spoiler नहीं मिलेंगे। लेकिन क्योंकि यह एक FanFiction कहानी है इसलिए इसके लिए अनजान लोगों में जिज्ञासा पैदा करने के लिए यह आवश्यक है कि थोड़ा बहुत स्टोरी disclose की जाए। 

यह कहानी तिरंगा के कैरेक्टर arc को एक फुल सर्किल में लाती है और तिरंगा की अब तक की आई सभी कॉमिक्स के महत्वपूर्ण भागो को जोड़ते हुए, तिरंगा की कथा को उसी मोड़ पर लाती है जहां से तिरंगा की उत्पत्ति हुई थी। तिरंगा के इस क्राइम फाइटिंग सफर में आए कई महत्वपूर्ण विलन और साथियों को जोड़ते हुए जा कहानी आपको एक सस्पेंस में बांध के रखती है। अभय के तिरंगा बनने से लेकर अभय के भारत बनने तक के महत्वपूर्ण sequences को प्रदीप जी ने एक बेहतरीन ताने-बाने में जोड़ा है। इस कहानी में, तिरंगा के पुराने किस्सो से महत्वपूर्ण किरदार जैसे कि कफन, एक्स और सीएनएन को कहानी में इस खूबसूरती से लाया गया है जिससे की तिरंगा कॉमिक्स को पढ़ने वाले हर व्यक्ति के मन में यही ख्याल आएगा की आखिरकार तिरंगा के कैरेक्टर के साथ वह न्याय हुआ जिसका वह हकदार था। कहानी में एक अनजान शख्सियत, जो तिरंगा के भारत होने का राज जानती है, उसके इस राज का पर्दाफाश ना करने के लिए तिरंगा को क्राइम फाइटिंग छोड़ने के लिए कहती है। उसे यह संदेश अभय की प्रेमिका की हत्या करके दिया जाता है। उसके आगे क्या होता है, यह जानने के लिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं, कि अगर आप इस कहानी को पढ़ने बैठेंगे तो बिना खत्म किए आप उठ नहीं पाएंगे। 

मैं संजय गुप्ता सर से इस ब्लॉग के माध्यम से यह रिक्वेस्ट भी करना चाहता हूं की यह कहानी तिरंगा की रीलॉन्चिंग के लिए परफेक्ट प्लेटफार्म है। 

My verdict 10/10

इस कहानी के साथ प्रदीप बरनवाल जी ने फेसबुक पर धीरज आनंद जी द्वारा बनाया हुआ तिरंगा का एक चित्र पोस्ट किया है. मुझे तिरंगा का है यह alternate look बहुत पसंद आया और उम्मीद है की राज कॉमिक्स इस कलाकार को भी मौका देने की कृपा करेगी। 


जब तक यह नही होता तब तक खरीद कर कॉमिक्स पढ़िए। मांग के पढ़ना शोभा नही देता।

Comments

  1. Thank you so much for your kind words sir. Tiranga likhne ki inspiration mujhe tabhi mili jab mujhe laga k koi bhi character bada ya chhota nahi hota balki use kaise likha gaya hai ye use define karta hai.
    Irony is k bachpan me mujhe tiranga bilkul pasand nahi tha, hum bhaiyon k terms me ye sada hua hero tha🤣
    Par samay ka chakra dekhiye k maine lekhan me debut hi isi charitra se kiya. Is story k dwara main un pathakon ko bhi jodna chahta tha jinhone tiranga kabhi nahi padhi hai aur isliye flashbacks k dwara uski origin ko tukdon me darshaya bhi hai. A big thanks to Haneef ji jinhone itne varsh tiranga ko sambhala and big thanks to Nitin ji jinhone tiranga ki origin ko naya mod diya.
    Special thanks to Dheeraj Anand ji and Navneet Singh for making those amazing artworks

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  2. आपके इस लेख ने कहानी पढ़ने की उत्कंठा मन में जागृत कर दी है... तिरंगा को लेकर मेरा मानना है कि अगर उसे सुपरहीरो न बनाकर आम डिटेक्टिव बनाते तो ज्यादा अच्छा रहता... खैर, यह कहानी जल्द ही पढ़ना चाहूँगा....

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