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Caravan Venegance...A proof that Sex and Nudity sells

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कभी-कभी कोई कॉमिक्स पढ़ने के बाद समझ में नहीं आता की उसके बारे में अपनी बेबाक राय देना क्या सही होगा या नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह कुछ कॉमिक्स या graphic novel कह सकते हैं, पाठकों के मन में एक cult status रखती है। इनके बारे में अपनी honest opinion देना अपने सोशल मीडिया या फिर अपने blog पर खुलेआम गालियों को निमंत्रण देने जैसा होता है। इस कॉमिक्स को लेकर मैं काफी सोच-विचार के बाद इस नतीजे पर पहुंचा, कि भाई जो भी हो, बोलना तो सच ही है।  और बस इसी सत्य की शक्ति के साथ आज करूंगा याली ड्रीम्स क्रिएशन द्वारा प्रकाशित graphic novel, कारवां प्रतिशोध का honest dissection. Story - Shamik Dasgupta Art - Gaurav Srivastava, Vikas Satpathi, Abhilash Panda 1. चित्रांकन जी हां आज अपने routine pattern को तोड़ते हुए मैं पहले इस कॉमिक्स के चित्रांकन की समीक्षा करना चाहूंगा।  यह कॉमिक्स 3 अध्याय में विभाजित है. प्रथम अध्याय - भोर का चित्रांकन गौरव श्रीवास्तव ने किया है। इनकी चित्रकला हमेशा ही लाजवाब रही है और इस कॉमिक्स में भी उन्होंने निराश नहीं किया है। विशेषकर महिला किर...

बेताल...The ghost who walks, walks again

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बचपन में मैं जब भी कॉमिक्स पड़ रहा होता था तो मेरे पिताजी अक्सर बातों बातों में अपने बचपन को याद करने लगते थे और उनके मुंह से अक्षर में इंद्रजाल कॉमिक्स का नाम सुनता था। मेरे पिताजी कॉमिक्स पढ़ने के बहुत शौकीन नहीं है लेकिन बचपन में उन्होंने भी कॉमिक्स का लुत्फ उठाया है। मुझे कॉमिक्स पड़ता देखकर वह हमेशा इंद्रजाल कॉमिक्स के प्रमुख किरदारों बहादुर फैंटम मैंड्रेक और फ्लैश गोर्डन का नाम लिया करते थे। उनकी बातों से मेरा मन अत्यधिक लालायित हो जाता था कि मुझे भी बहादुर और फैंटम इत्यादि की कॉमिक्स पढ़ने को मिले, लेकिन जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना शुरू किया तब तक इंद्रजाल कॉमिक्स को डब्बा बंद हुए काफी साल हो चुके थे। फैंटम को पढ़ने की मेरी प्रबल इच्छा काफी हद तक डायमंड कॉमिक्स ने शांत करी लेकिन उस दौर में जेब में चवन्नी और कॉमिक्स के दाम ₹1 हुआ करते थे। इसलिए मैं उस पैमाने पर फैंटम की कहानियों को पूरी तरह enjoy नहीं कर पाया। फैंटम की कहानी पढ़ने की मेरी यह desire, बचपन के आनंद की तरह धीरे-धीरे करके जवानी की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर मर गई। और फिर 1 दिन फेसबुक पर मुझे यह ज्ञात हुआ की ...

सतयुग...old wine, new bottle, rightly aged

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स्वयंभू कॉमिक्स एक नई कॉमिक्स कंपनी है जिससे अन्य कॉमिक्स प्रकाशकों को मार्केटिंग के गुर सीखने की जरूरत है। अपने प्रथम अंक के साथ ही उन्होंने कॉमिक्स के पाठकों के मन में और उनकी अलमारियों में एक खास जगह बना ली है, इसलिए जब उन्होंने अपने प्रकाशन के दूसरे कॉमिक्स सतयुग की घोषणा करी, तो जाहिर सी बात है कि पाठकों में उत्सुकता बहुत अधिक थी। उन्हीं पाठकों में से मैं भी एक पाठक हूं। चाहे वह सतयुग का cover reveal हो या फिर सतयुग का title track launch करना, स्वयंभू कॉमिक्स ने इस कॉमिक्स के लिए एक बांधने वाला Ad campaign चलाया, जिससे कि पाठकों के मन में इस कॉमिक्स के लिए बहुत high expectations पैदा हो गई थी।  वैसे तो मैं इस कॉमिक्स की समीक्षा पढ़ने के तुरंत बाद करने वाला था लेकिन इस बार मैंने निर्णय लिया की कॉमिक्स को सिर्फ एक बार पढ़कर उसकी समीक्षा करने के बजाए इस कॉमिक्स का अध्ययन बारीकी से करने के पश्चात ही इसका रिव्यु अपने ब्लॉग पर डालूंगा। तो आइए बिना समय बर्बाद किए करते हैं स्वयंभू कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित सतयुग कॉमिक्स के हिंदी अंक का dissection. 1. कथानक कॉमिक्स की कहानी क...

लंबू मोटू और ड्रैकुला....प्रथम तीन अंक की समीक्षा

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ड्रैकुला। एक ऐसा किरदार जिसके साथ भारत ही क्या, दुनिया के हर कॉमिक्स प्रकाशक ने खेलने का प्रयत्न किया होगा। इस किरदार में कुछ ऐसा आकर्षण है की इसके इर्द गिर्द कहानी बुनने में एक अजीब से आनंद की अनुभूति होती है। राज कॉमिक्स, मनोज कॉमिक्स और बुल्स आई के प्रयासों का रसपान करने के बाद, उमाकार्ट के माध्यम से मुझे जब यह पता चला की एक वक्त डायमंड कॉमिक्स ने भी इस किरदार को लेकर १ नही, 2 नही बल्कि पूरे ९ कॉमिक्स पेश किए थे तो मैं खुद को ऑर्डर करने से रोक नही पाया। हालाकि सच कहूं तो मुझे डायमंड कॉमिक्स से ज्यादा उम्मीद नहीं थी क्युकी प्राण जी द्वारा रचे किरदारों के अलावा मैने न ज्यादा डायमंड कॉमिक्स पढ़ी है और न ही मुझे कोई अन्य किरदार या कॉमिक्स बहुत जची है।  फिर भी अपने अंदर कुलबुलाते कॉमिक्स के चरसी कीड़े को शांत करने के लिए हमने अभय जिंदल भाई को फोन मिला के सारी ९ कॉमिक्स मंगवा ली।  अब कॉमिक्स तो आ गई किंतु यह नहीं पता था कि पहला अंक कौन सा है और आखिरी कौन? फेसबुक और व्हाट्सएप पर कॉमिक्स के सह नशेड़ियों के झुरमुट में पूछते पाछते आखिर ये पता चला की पहली कहानी कौन सी है। ...

अंगारा origins... इतना original भी नही लिखना था

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तुलसी कॉमिक्स एक अजूबा है। इस प्रकाशन के 3 सर्वाधिक लोकप्रिय किरदार है अंगारा जम्बू और तौसी। यह तीनों किरदार क्यों प्रसिद्ध है यह मुझे बचपन में कभी समझ नहीं आया। इनकी ज्यादा कॉमिक्स नहीं पढ़ी थी इसलिए कुछ हद तक दोष अपने सीमित exposure को भी दूंगा।  फिलहाल कई दशकों बाद लॉकडाउन के दौरान, इंटरनेट पर सर्फिंग करते वक्त मुझे कॉमिक्स इंडिया नाम की वेबसाइट का पता चला। देखने पर यह पता चला कि यह कंपनी तुलसी कॉमिक्स के रीप्रिंट्स बाजार में ला रही है। बचपन और जवानी के बीच में आर्थिक स्थिति में काफी अंतर आ गया था इसलिए हमने निर्णय लिया की क्यों ना तुलसी कॉमिक्स के संसार में विचरण किया जाए।  अब जम्बू के बारे में मेरे विचार तो आप पहले पढ़ ही चुके हैं। तो आज बात करते हैं Parshuram Sharma जी के द्वारा रचित, कॉमिक्स पाठकों की नजर में एक अत्यंत महान किरदार अंगारा की। आज की समीक्षा अंगारा के प्रथम 3 कॉमिक्स के आधार पर कर रहा हूं जिनके शीर्षक हैं 1. अंगारा 2. अंगारा की जंग 3. अंगारा का आतंक तो चलिए करते हैं इस तथाकथित महानायक का dissection. 1. कथानक कॉमिक्स की दुनिया में सुपर हीरो हो ...

क्राइम फाइटर... when Inspector Vinay becomes Doga

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मुझे कॉमिक्स पढ़ना पसंद है खास करके सुपर हीरो genre वाली कॉमिक्स। इसलिए अगर मैं कहीं पर भी कोई भी सुपर हीरो की कॉमिक्स देखता हूं तो उसे तुरंत खरीद लेता हूं। अपनी इसी आदत के चलते मैंने फेनिल कॉमिक्स से bulk में काफी सारी कॉमिक्स आर्डर करके मंगवाई। हालांकि फेनील कॉमिक्स मेरे लिए नई नहीं है, क्योंकि मैं पूर्व में भी फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित फौलाद कलेक्टर एडिशन और बजरंगी का थ्री इन वन डाइजेस्ट पढ़ चुका हूं। इन दोनों ही किरदारों और कहानियों को मैंने काफी पसंद किया। इसलिए मेरे मन में विचार आया कि क्यों न फेनिल कॉमिक्स यूनिवर्स के अन्य सभी किरदारों के कथानक कल लुत्फ उठाया जाए। बस यही सोचकर मैंने फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित वह सभी कॉमिक्स मंगा ली है जो अभी तक मेरे कलेक्शन में नहीं थे। फेनिल कॉमिक्स की एक बात मुझे खास पसंद नहीं आई और वह यह है की इनके सभी कॉमिक्स अलग-अलग आकार के होते हैं जिसकी वजह से एक ही प्रकाशक की सभी कॉमिक्स को एक pile में रखना थोड़ा difficult होता है।  खैर कॉमिक्स तो आ गई, पर अब बड़ा निर्णय यह था की किस कॉमिक से शुरुआत की जाए। काफी उलटने पलटने के पश्च...

Nagraj Fang... nostalgia trap

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फैंग कॉमिक्स की शुरुआत Diamond Comics के पाठकों में सेंध लगाने के लिए की गई थी। इस कॉमिक्स में छोटी-छोटी कहानियां होती थी जोकि चाचा चौधरी बिल्लू और पिंकी की कॉमिक्स की तरह लिखी जाती थी। किंतु इस कॉमिक्स में नागराज की छोटी-छोटी कहानियों को incorporate करके एक नया फ्लेवर देने की कोशिश की गई। नागराज की यह छोटी कहानियां काफी हद तक शक्तिमान धारावाहिक के अंत में आने वाले सॉरी शक्तिमान skits से प्रेरित थी। इन कहानियों में नागराज बच्चों को एक अच्छा संदेश देने का प्रयास करता था। वैसे तो नागराज एक आउट एंड आउट एक्शन सुपर हीरो है लेकिन इन कहानियों ने नागराज के fandom को छोटे बच्चो के बीच उतारने का प्रयास किया।  फैंग पत्रिका करीब 2 साल तक प्रकाशित हुई लेकिन यह वह उपलब्धि नहीं प्राप्त कर सकी जिसकी उम्मीद राज कॉमिक्स को थी।  वर्ष 2021 में कोविड से त्रस्त लोगो के बीच व्याप्त nostalgia factor का फायदा उठाते हुए Raj Comics by Manoj Gupta ने फैंग पत्रिका में प्रकाशित नागराज की सभी लघु कॉमिक्स का संग्रह पेश किया है जिसकी हर एक कहानी का करूंगा मैं micro dissection। 1. भाग सपेरा 👎🏽 वा...