बेताल...The ghost who walks, walks again

बचपन में मैं जब भी कॉमिक्स पड़ रहा होता था तो मेरे पिताजी अक्सर बातों बातों में अपने बचपन को याद करने लगते थे और उनके मुंह से अक्षर में इंद्रजाल कॉमिक्स का नाम सुनता था। मेरे पिताजी कॉमिक्स पढ़ने के बहुत शौकीन नहीं है लेकिन बचपन में उन्होंने भी कॉमिक्स का लुत्फ उठाया है। मुझे कॉमिक्स पड़ता देखकर वह हमेशा इंद्रजाल कॉमिक्स के प्रमुख किरदारों बहादुर फैंटम मैंड्रेक और फ्लैश गोर्डन का नाम लिया करते थे। उनकी बातों से मेरा मन अत्यधिक लालायित हो जाता था कि मुझे भी बहादुर और फैंटम इत्यादि की कॉमिक्स पढ़ने को मिले, लेकिन जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना शुरू किया तब तक इंद्रजाल कॉमिक्स को डब्बा बंद हुए काफी साल हो चुके थे। फैंटम को पढ़ने की मेरी प्रबल इच्छा काफी हद तक डायमंड कॉमिक्स ने शांत करी लेकिन उस दौर में जेब में चवन्नी और कॉमिक्स के दाम ₹1 हुआ करते थे। इसलिए मैं उस पैमाने पर फैंटम की कहानियों को पूरी तरह enjoy नहीं कर पाया।



फैंटम की कहानी पढ़ने की मेरी यह desire, बचपन के आनंद की तरह धीरे-धीरे करके जवानी की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर मर गई। और फिर 1 दिन फेसबुक पर मुझे यह ज्ञात हुआ की शक्ति कॉमिक्स नाम से एक नए पब्लिशिंग हाउस में इंद्रजाल कॉमिक्स को नए फ्लेवर और फ्लेवर के साथ रिवाइव करने का निर्णय लिया है। खिलौने की दुकान के बाहर खड़े एक बच्चे की तरह मैं एक्साइटेड होकर शक्ति कॉमिक्स के पहले सेट के आने का इंतजार करने लगा और जैसे ही मेरा पार्सल मेरे दरवाजे पर पहुंचा मैंने उसे खोल कर सबसे पहले बेताल के प्रथम अंक को पढ़ना शुरू किया। 

क्योंकि मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स नहीं पड़ी है इसलिए मुझे यह नहीं पता कि यह पूरी तरह से रिप्रिंट है कि इसमें कुछ मॉडिफिकेशन किए गए हैं इसलिए मैं इस कॉमिक्स को एक नई कॉमिक्स मानकर ही उसकी समीक्षा या फिर मेरी भाषा में dissection करूंगा।

Comics title - बेताल
Publisher - शक्ति कॉमिक्स
Story - टोनी डिपॉल
Art - माइक मैनले
Cover art - अनुपम सिन्हा

1. कथानक
बेताल की कहानियों में हमेशा ही एक रहस्य होता है। इस कहानी में भी एक रहस्य है जिसका सार यह है की 21 वे बेताल के सर पर उसकी मौत मंडरा रही है। कहानी का नाम है मोज का श्राप। कहानी जहां फैंटम के एक्शन से भरपूर है वही कहानी का एक भावनात्मक पहलू फैंटम की पत्नी डायना के मन में चल रहे अंतर्द्वंद के रूप में भी बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। इस कहानी में कोई सुपर विलन नहीं है ना ही कोई शक्तिशाली adversary दिखाया गया है, लेकिन इस सब के बावजूद भी कहानी पहले फ्रेम से आखरी फ्रेम तक पाठक को बांध के रखती है। ली फॉक ने फैंटम का एक अद्भुत संसार रचा था जिसे लेखक ने काफी अच्छे से continue किया है। कहानी में किसी भी तरह फैंटम की दुनिया से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है जिससे कि इस पात्र की मौलिकता बनी रहती है। 


2. चित्रांकन
चित्रांकन काफी ओल्ड स्कूल का है और जिस फैंटम की कहानियां मैंने डायमंड कॉमिक्स के सौजन्य से पड़ी थी उस आर्ट से काफी मेल खाता है। मुझे चित्रों में परछाई का किया गया प्रयोग बहुत अच्छा लगा क्योंकि वह फैंटम के रहस्यमयी संसार को और अधिक रहस्य पूर्ण बनाता है। 
मुझे अगर इस कॉमिक्स में कोई कमी लगी तो वह इसका कवर पेज है। मैं अनुपम सर के चित्रांकन का बहुत बड़ा फैन रहा हूं लेकिन इस कवर में फैंटम और मोज का चित्रांकन बहुत खराब हुआ है। जहां फैंटम देखने में काफी bulky लग रहा है, वही मोज बिल्कुल राज कॉमिक्स के किरदार करणवशी जैसा दिख रहा है। कवर पेज बिल्कुल भी फैंटम किरदार के उपयुक्त नहीं है। 


फैंटम के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। मुझे बस इतना पता है की यह 21 वे फैंटम की कहानी है और जिस फैंटम पर फिल्म बनी थी वह 23 वा फैंटम था। डायमंड कॉमिक्स वाला फैंटम 20 वा या 21 वा था इस बारे में मुझे संशय है। अगर किसी पाठक को यह जानकारी है कि डायमंड कॉमिक्स में कौन से फैंटम की कहानियां प्रकाशित होती थी तो कृपया करके कमेंट सेक्शन में मुझे बताने की कृपा करें। रही बात किस कॉमिक्स की तो अभी तक जितने भी पुराने प्रकाशन वापिस मार्केट में आए हैं उनमें मुझे यह कॉमिक्स सबसे अच्छी लगी। 

My verdict - 9/10 


Comments

  1. कॉमिक्स के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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  2. कहानियां हमेशा से 21वे वेताल की ही रहे है है ,, उसके जरिये ही बाकी बेतालों को खंगाला जाता था।

    (ली फाक के मूल काम के लिए )


    बाकी डायमण्ड पे 21वे वेताल की ही कहानियां है ,, बाकी इनका कोई आर्डर नही है लेकिनdiehard फैन बना सकते है/थे

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