खून की प्यासी दौलत....A hopeful start to an interesting character.
स्वप्निल कॉमिक्स एक नवीन कॉमिक्स प्रकाशन है जिन की पहली कॉमिक्स चुल्लू और खड़ूस अंकल मुझे पसंद आई थी। इसलिए उनकी दूसरी कॉमिक्स से मुझे ठीक-ठाक उम्मीद थी। हालांकि एक कॉमेडी कहानी लिखने और एक सुपर हीरो की कहानी लिखने में खासा फर्क होता है, लेकिन ना जाने क्यों मुझे यह उम्मीद थी कि या कॉमिक्स अच्छी बनेगी और पढ़ने योग्य होगी।
अब क्या यह कॉमिक्स मेरी उम्मीदों की कसौटी पर खरी उतरी या फिर मुझे अपने ₹120 बर्बाद होते लगे यह जानने के लिए आइए करते हैं स्वप्निल कॉमिक्स की प्रस्तुति खून की प्यासी दौलत का dissection।
Story idea/Inking/Editing- Swapnil Singh
Writer - Arvind Kumar Yadav
Art - Amrit Pasang Lama
1. कथानक
कॉमिक्स की कहानी कलयुग में फैले हुए और तेजी से बढ़ते हुए पाप की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है। इस कॉमिक्स में पाप के जिस रुप को दर्शाया गया है वह है लालच और इस लालच की जड़ में है सोना उर्फ माया।
कहानी काफी रहस्यमई तरीके से शुरू होती है और करीब आधी कॉमिक्स के पश्चात main villain को उसके वास्तविक रूप में दिखाया जाता है। इसके बाद कॉमिक्स में लगातार action चलता है और हमारा परिचय एक विचित्र एवं घातक शक्तियों के स्वामी विक्रमादित्य से होता है, जो कि एक ऐसा सुपर हीरो है, जो धरती पर पाप के खिलाफ, काली शक्तियों के खिलाफ एक निर्णायक जंग लड़ रहा है।
इस महानायक की उत्पत्ति कैसे हुई, इसके पास और कौन-कौन सी शक्तियां हैं, इस की असली पहचान क्या है, ऐसे कई सवाल इस कॉमिक्स में unanswered रह जाते हैं जोकि पाठक के मन में इस किरदार को और जानने की जिज्ञासा पैदा करते हैं।
कहानी का प्रथम भाग जहां mysterious है, वही दूसरा भाग केवल एक्शन से भरपूर है।
कॉमिक्स में भारतीय पौराणिक कथाओं को जोड़ने का एक अच्छा प्रयास किया गया है।
2. चित्रांकन
कॉमिक्स अगर किसी पहलू पर मात खाती है तो वह है चित्रांकन। कई panels में characters and objects का ratio and proportion अटपटा सा दिखता है। फ्रेम्स अत्यधिक dark बने हैं जिसकी वजह से कलरिंग उतनी निखर कर नहीं आती है, हालांकि कॉमिक्स का आखरी splash page बेहद खौफनाक एवं attractive लगता है।
₹120 में 28 पन्नों की यह कहानी थोड़ी महंगी लगती है लेकिन हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए की कॉमिक्स प्रकाशक एवं कॉमिक्स में कार्य करने वाले लेखक, चित्रकार तथा अन्य सभी लोगों को भी पेट्रोल उसी रेट में मिलता है जिसमें हम खरीदने वाले लोगों को मिलता है। कॉमिक्स के दाम पर हो हल्ला मचाना, किसी भी सूरत में तार्किक नहीं है क्योंकि कॉमिक्स छापना अंततः एक व्यवसाय है, और उसे व्यवसाय ही रहने दिया जाए, तभी वह survive कर पाएगा। इसलिए कॉमिक्स अपने अपने बजट के हिसाब से खरीदें, पढ़ें, उनकी समीक्षा करें, उन का आनंद लें, लेकिन सस्ती एवं मुफ्त कॉमिक्स की आस में सोशल मीडिया पर गंदगी ना बिखेरे।
My verdict - 5.5/10
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